Sunday, February 24, 2013


कुछ तो लोग कहेंगे

इस कहानी को बचपन मे मेरी माँ ने तब सुनाया था, जब मुझे किसी सहपाठी  की कोई बात बहुत बुरी लग गयी थी कोमल मन एकदम से बहुत उदास हो गया, तो माँ ने कहा कि बेटा किसी के कहने का इतना बुरा नहीं मानते। लोगों ने तो भगवान को भी नहीं छोड़ा, फिर हम इंसान  तो गल्ती के पुतले होते ही हैं ! इसलिए लोगों की बातों को यूँ दिल से लगाओ, बल्कि उनका सार ग्रहण करो तो प्रस्तुत है फिर कुछ तो लोग कहेंगे.........लोगों का काम है कहना, छोड़ो बेकार की बातों में, मूड खराब नहीं करना ..... कुछ तो लोग कहेंगे।....

बड़े दिनों पुरानी बात है, भगवान शिव और पार्वती माता कैलाश पर्वत पर बड़े सुख से रहते थे एक दिन पार्वती जी ने जिद पकड़ ली कि उन्हें भू लोक अर्थात पृथ्वी का भ्रमण करना है ! शिव जी ने बहुत समझाया कि पृथ्वी पर दुःख ही दुःख है एवं इसका मूल कारण है कि लोगों से दूसरों का सुख नहीं देखा जाता, अतएव वहाँ जाने से दिल ही दुखेगा परंतु पार्वती जी हठ करने लगीं तो हारकर शिवजी ने कहा कि तुम नहीं मानतीं तो फिर चलते हैं, परंतु धरती वासियों की बातों से व्यथित होना

यूँ समझाकर, शिवजी पार्वती जी सहित अपनी सवारी नंदी के साथ पृथ्वी भ्रमण के लिए निकल पड़े कुछ दूर तक का सफर तो बड़े आराम से निकल गया, लेकिन जैसे जैसे वो बस्ती के नजदीक पहुँचने लगे, लोगों की आवाजाही शुरू हो गयी शुरू में तो लोगों ने उनकी तरफ ज्यादा ध्यान नहीं दिया , परंतु थोड़ा और आगे चलने पर ज्यादा लोगों की निगाह उन पर पड़ी ! उनमें से किसी ने कहा, देखो देखो एक बेचारे जानवर पर कितने हृष्ट-पुष्ट दंपत्ति चले जा रहे हैं लगता है इन्हें अपने आराम के आगे बेचारे जानवर की कोई चिंता नहीं है अब पार्वती जी को बुरा तो लगना ही था, तो उन्होने शिवजी से कहा कि स्वामी आप बैठें , मैं थोड़ा पैदल चलूँगी ! शिवजी ने कुछ कहा बस मंद मंद मुस्कुरा भर दिये; परंतु थोड़ी दूर आगे चले होंगे कि  फिर किसी ने कहा कि देखो कैसा मर्द है बेचारी पत्नी पीछे पीछे चल रही है और ये बैल पे सवार होकर ठाठ से चला जा रहा है शिवजी जन मत का सम्मान करते हुये चुपचाप उतर गए और पार्वती जी को अपनी जगह बिठाल दिया .....थोड़ा ही आगे बढ़े थे कि किसी ने फिर से कह दिया कि  देखो कितनी बेशरम पत्नी है, बेचारा पति पैदल चल रहा है लेकिन ये आराम से बैठ कर जा रही है स्वाभाविक था कि पार्वती जी ने कहा कि अब हम पैदल ही चलते हैं परंतु जैसे ही थोड़ा सा आगे बढ़े तो किसी ने कहा देखो देखो कितने बेवकूफ लोग हैं; सवारी होते हुये भी पैदल चले जा रहे हैं अब तो पार्वती जी पूरी तरह से दुखी हो गईं और वहीं पड़े एक पत्थर पर बैठ गईं शिवजी उन्हें समझाने ही वाले थे कि फिर किसी ने बोला; देखो कैसे लोग हैं घर में मन नहीं लगता, सारा काम छोड़ छाड़कर यहाँ बैठे समय खराब कर रहे हैं

शिवजी ने बोला, पार्वती मैं कहता था कि तुम्हें पृथ्वी पर जाकर संताप ही होगा;  क्योंकि चाहे अच्छा चाहे बुरा, लोगों के पास कुछ कुछ कहने के लिए है अतः अब आओ वापिस कैलाश पर चलते हैं ।लोगों की जितनी बातें सुनोगी, उतना ही विचलित हो जाओगी ..........और यूँ इस तरह पार्वती जी को पृथ्वी भ्रमण लोगों की बातों की वजह से बीच में ही अधूरा छोडना पड़ा।.........सच है, कुछ तो लोग कहेंगे और हर बात पर ही कहेंगे !!!

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