हर चीज
में
भगवान
हैं!
एक
गुरुजी थे। उनके
आश्रम में कुछ
शिष्य शिक्षा प्राप्त
कर रहे थे।
एक बार बातचीत
में एक शिष्य
ने पूछा -गुरुजी,
क्या ईश्वर सचमुच
है? गुरुजी ने
कहा - ईश्वर अगर
कहीं है तो
वह हम सभी
में है।
शिष्य
ने पूछा - तो
क्या मुझमें और
आपमें भी ईश्वर
है?
गुरुजी
बोले - बेटा, मुझमें, तुझमें,
तुम्हारे सारे सहपाठियों
में और हर
जीव-जंतु में
ईश्वर है। जिसमें
जीवन है उसमें
ईश्वर है। शिष्य
ने गुरुजी की
बात याद कर
ली।
कुछ
दिनों बाद शिष्य
जंगल में लकड़ी
लेने गया। तभी
सामने से एक
हाथी बेकाबू होकर
दौड़ता हुआ आता
दिखाई दिया। हाथी
के पीछे-पीछे
महावत भी दौड़ता
हुआ आ रहा
था और दूर
से ही चिल्ला
रहा था - दूर
हट जाना, हाथी
बेकाबू हो गया
है, दूर हट
जाना रे भैया,
हाथी बेकाबू हो
गया है।
उस
जिज्ञासु शिष्य को छोड़कर
बाकी सभी शिष्य
तुरंत इधर-उधर
भागने लगे। वह
शिष्य अपनी जगह
से बिल्कुल भी
नहीं हिला, बल्कि
उसने अपने दूसरे
साथियों से कहा
कि हाथी में
भी भगवान है
फिर तुम भाग
क्यों रहे हो?
महावत चिल्लाता रहा,
पर वह शिष्य
नहीं हटा और
हाथी ने उसे
धक्का देकर एक
तरफ गिरा दिया
और आगे निकल
गया। गिरने से
शिष्य होश खो
बैठा।
कुछ
देर बाद उसे
होश आया तो
उसने देखा कि
आश्रम में गुरुजी
और शिष्य उसे
घेरकर खड़े हैं।
साथियों ने शिष्य
से पूछा कि
जब तुम देख
रहे थे कि
हाथी तुम्हारी तरफ
दौड़ा चला आ
रहा है तो
तुम रस्ते से
हटे क्यों नहीं?
शिष्य ने कहा
- जब गुरुजी ने
कहा है कि
हर चीज में
ईश्वर है तो
इसका मतलब है
कि हाथी में
भी है। मैंने
सोचा कि सामने
से हाथी नहीं
ईश्वर चले आ
रहे हैं और
यही सोचकर मैं
अपनी जगह पर
खड़ा रहा, पर
ईश्वर ने मेरी
कोई मदद नहीं
की।
गुरुजी
ने यह सुना
तो वे मुस्कुराए
और बोले -बेटा,
मैंने कहा था
कि हर चीज
में भगवान है।
जब तुमने यह
माना कि हाथी
में भगवान है
तो तुम्हें यह
भी ध्यान रखना
चाहिए था कि
महावत में भी
भगवान है और
जब महावत चिल्लाकर
तुम्हें सावधान कर रहा
था तो तुमने
उसकी बात पर
ध्यान क्यों नहीं
दिया? शिष्य को
उसकी बात का
जवाब मिल गया
था।
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