Tuesday, January 14, 2020





Mother's glory

Read the full story from the heart, and then type your thought about MOM.

Someone asked Swami Vivekanand-ji, a curious question, What Causes the "mother's glory in this World?
Swami ji smiled and asked him to Bring a stone weighing near 8 pounds. When the person brought the stone, swami-ji, told him, "now wrap this stone on your stomach and come to me after twenty-four hours, so I will answer your question."

As per the instruction the person tied the stone on his stomach and carried his day to day work for the day, and felt discomfort with fatigue and by the evening he was totally exhausted.

Swami ji now I cannot carry this stone with me to find the answer.

Swami ji smiled and told him “My dear you cannot carry this 8Pound stone for 24 hours and mother carry the child in her womb for 9 months and do all House day to day work.

In this World no one is like mother, who sacrifices all her comforts, is kind, such a patient and tolerant but mother is Mother in the World and no one else can be equal her.

After reading this story, please do write two words from your heart...

माँ की महिमा

प्लीज दिल से पूरी कहानी पढे, फिर लिखे माँ के बारे में.....
स्वामी विवेकानंद जी से एक जिज्ञासु ने प्रश्न किया," माँ की महिमा संसार में किस कारण से गायी जाती है?
स्वामी जी मुस्कराए, उस व्यक्ति से बोले, पांच सेर वजन का एक पत्थर ले आओ। जब व्यक्ति पत्थर ले आया तो स्वामी जी ने उससे कहा, "अब इस पत्थर को किसी कपडे में लपेटकर अपने पेट पर बाँध लो और चौबीस घंटे बाद मेरे पास आओ तो मैं तुम्हारे प्रश्न का उत्तर दूंगा।"

स्वामी जी के आदेशानुसार उस व्यक्ति ने पत्थर को अपने पेट पर बाँध लिया और चला गया पत्थर बंधे हुए दिनभर वो अपना कम करता रहा, किन्तु हर क्षण उसे परेशानी और थकान महसूस हुई शाम होते-होते पत्थर का बोझ संभाले हुए चलना फिरना उसके लिए असहाय हो उठा।
थका मांदा वह स्वामी जी के पास पंहुचा और बोला, " मैं इस पत्थर को अब और अधिक देर तक बांधे नहीं रख सकूँगा एक प्रश्न का उत्तर पाने के लिए मैं इतनी कड़ी सजा नहीं भुगत सकता "

स्वामी जी मुस्कुराते हुए बोले, " पेट पर इस पत्थर का बोझ तुमसे कुछ घंटे भी नहीं उठाया गया और माँ अपने गर्भ में पलने वाले शिशु को पूरे नौ माह तक ढ़ोती है और गृहस्थी का सारा काम करती है संसार में माँ के सिवा कोई इतना धैर्यवान और सहनशील नहीं है इसलिए माँ से बढ़ कर इस संसार में कोई और नहीं
"माँ" तेरे दूध का हक मुझसे अदा क्या होगा l
तू है नाराज तो, खुश मुझसे "खुदा" क्या होगा l l
पूँछता है जब कोई मुझसे कि दुनियां में मोहब्बत अब बची है कहाँ
मुस्कुरा देता हुँ मैं और याद जाती है........"माँ"
इस कहानी को पढ़ने के बाद आप अपने दिल से दो शब्द जरुर लिखे.

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