Saturday, December 14, 2019




One day you will realize that material things mean nothing. All that matters is the well-being of people in your Life.

आज पुरुषार्थ का 90 प्रतिशत भाग् धन कमाने में लग गया है सारे प्रयास धन के पीछे हैं आदमी को धनवान भी होना है और भगवान् से भी मिलना है दोनों की चाहत समानान्तर चलती है पैसा और परमात्मा एक साथ मिलें इस मणिकांचन योग के लिए कई लोगों ने अपनी पूरी जिन्दगी दाँव पर लगा दी शास्त्र कहते हैं न्याय और नीति लक्ष्मी के खिलौने हैं वह जैसा चाहती है वैसा नचाती है वेदव्यास में लक्ष्मी के सात साधन बताये हैं

1 धैर्य धारण करना
2 क्रोध करना
3 इन्द्रियों को वश में रखना
4 पवित्रता
5 दया
6 सरल वचन और
7 मित्रों से द्वेष रखना

कोई भी धर्म यह नहीं कहता कि धन ना कमाया जाए भगवान् को हमारी निर्धनता से अधिक हमारी वैराग्य वृति प्रिय है बड़े से बड़ा धनवान वैरागी हो सकता है और गरीब से गरीब के भीतर भी इस वृति का अभाव हो सकता है अतः धन कमाना बुरा नहीं है] आप किस तरह से कमा रहे हैं और धन अर्जन के कृत को किस प्रकार पूरा कर रहे हैं] यह महत्वपूर्ण है परिणाम उसी में छुपा है धन दुःख नहीं देता और ना ही सुख बरसाता है उसके तरीके का सारा खेल है जैन धर्म में महावीर स्वामी ने एक सूत्र में कहा है, कर्म कर्ता का ही अनुगमन करते हैं जो व्यक्ति जिस तरह से धन कमा रहा है] परिणाम उसे ही भुगतना है उस धन से जो दूसरे लाभ ले रहे हैं उन्हें उसका परिणाम वैसा नहीं भुगतना होगा भगवान् महावीर का सूत्र है जाती, मित्र और संताने इस दुःख का विभाजन नहीं कर सकते ऐसा दुःख अकेले ही भुगतना पड़ता है इसलिए नीति से कमायें और रीति से खर्च करें

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