SMART का
मतलब है:
S
– Specific (स्पष्ट)
M
- Measurable (जिसे मापा जा सके)
A
- Achievable (पूर्ण करने योग्य)
R
- Realistic (वास्तविक)
T
- Time-bound (समय में बंधा हुआ)
एक SMART लक्ष्य
में ऊपर बतायी गयी सभी गुण होने चाहियें।
1.Specific
(स्पष्ट): आपका
लक्ष्य बिलकुल स्पष्ट होना चाहिए, उसे
सुनने या पढने के बाद उसे लेकर कोई संशय नहीं होना चाहिए, अगर
कोई कहता है कि उसे “अच्छे
अंक लाने हैं” तो
ये बात स्पष्ट नहीं होती कि वो किस विषय या परिक्षा की बात कर रहा है, जिसमे
उसे अच्छे अंक लाने हैं, और
अच्छे से क्या मतलब है? किसी
के लिए 100 में
80 अच्छा हो सकता है तो किसी के लिए 100 में
60 भी अच्छा हो सकता है। इसी तरह, कई
लोग कहते हैं कि मेरा लक्ष्य है एक सफल आदमी बनना, पर
जब आप उनसे पूछेंगे की किस क्षेत्र में तो शायद वो कोई संतोषजनक जवाब ना दे पाएं, यानि
वो अपने लक्ष्य को लेकर स्पष्ट नहीं हैं, और
जब लक्ष्य स्पष्ट ना हो तो उसके हासिल करने की बात ही नहीं उठती।
2.Measurable
(जिसे मापा जा सके): आपका
लक्ष्य ऐसा होना चाहिए जिसे किसी पैमाने पर मापा जा सके, यानि
उस लक्ष्य के साथ कोई संख्या या कोई अंक जुड़ा होना चाहिए, उदाहरण
के तौर पर, यदि
कोई कहता है की उसका लक्ष्य वजन कम करना है तो सवाल उठता है की कितना कम करना है, लक्ष्य
के साथ जब अंक जुड़ जाते हैं तो आप अपनी तरक्की को माप सकते हैं, और
ये जान सकते हैं की आपने अपना लक्ष्य सही तरह से हासिल किया कि नहीं, इसलिए
एक अच्छा लक्ष्य हमेशा ऐसा होता है जिसे मापा जा सके।
3.Achievable
(पूर्ण करने योग्य): यदि
आप कोई ऐसा लक्ष्य बनाएँगे जिसको बनाने के बाद आपको महसूस हो कि ये असंभव है तो ऐसे लक्ष्य का कोई अर्थ नहीं है, दोस्तों
हमारा अवचेतन मस्तिष्क, एक
जागरूक मस्तिष्क से कहीं अधिक ताक़तवर होता है, यदि
आप जागरूक मस्तिष्क से कोई असंभव लक्ष्य बनायेंगे और अवचेतन मस्तिष्क उसे समर्थन नहीं करेगा तो आपके लक्ष्य पूरा होने के संभावना नहीं के बराबर होगी। उदाहरण के तौर पर, अगर
आप तय करते हैं कि मुझे गणित में 100 अंक
लाने हैं और आपका पिछला रिकॉर्ड बताता है कि आप मुश्किल से ही इस विषय में पास होते हैं तो तुरंत ही आपका अवचेतन मस्तिष्क इसे नकार देगा और आप ये लक्ष्य हासिल नहीं कर पाएंगे . वहीँ
अगर आप 75% अंक
लाने की सोचते हैं तो आपके सफल होने की संभावना कहीं अधिक होगी।
4.Realistic
(वास्तविक): आपका
लक्ष्य आपके लिए वास्तविक होना चाहिए, हासिल
करने योग्य (Achievable) और वास्तविक(Realistic) के बीच एक पतली लाइन है, जो
लक्ष्य वास्तविक है वो हासिल करने योग्य हो सकता है, पर
जो हासिल करने योग्य है वो वास्तविक भी हो ऐसा ज़रूरी नहीं है, उदाहरण
के तौर पर, परीक्षा
में सर्वोच्च स्थान प्राप्त करना करना एक हासिल करने योग्य लक्ष्य है, पर
यदि आपने शुरू से पढ़ाई नहीं की है और अब बस परीक्षा में कुछ ही दिन बचे हैं तो ये अवास्तविक होगा कि आप सर्वोच्च स्थान प्राप्त करेंगे, हमेशा
अपनी क्षमता के हिसाब से वास्तविक लक्ष्य बनाएं। ये भी ध्यान रखें कि कोई काम किसी और के लिए वास्तविक हो सकता है पर आपको उसे अपने द्रष्टिकोण से देखना है और अपने लक्ष्य बनाने है।
5.Time-bound
(समय में बंधा हुआ): “एक
लक्ष्य एक समय सीमा के साथ देखा गया सपना है” लक्ष्य
के साथ अगर आप समय सीमा नहीं निर्धारित करेंगे तो आपको उसे हासिल करने की अत्यावश्यकता नहीं महसूस होगी और आप उसे पूरा करने के लिए सही प्रयत्न नहीं कर पायेंगे, इसीलिए
लक्ष्य निर्धारित करते वक़्त ये निश्चय करना कि इसे कब तक हासिल करना है बहुत ही आवश्यक है, मैंने
कई बार लोगों को ये कहते सुना है कि मुझे नया व्यवसाय शुरू करना है, पर
ये बहुत कम ही सुनने में आता है कि मुझे इस साल के इस महीने से व्यवसाय शुरू करना है, अतः
आप जब भी अपना लक्ष्य बनाएं तो उसे कब तक हासिल करना है ये ध्यान में रखें और उसे अपनी सोच का हिस्सा बनाएं।
तो यदि हम अपने शुरआती प्रश्न पर लौटें तो हम पायेंगे की अधिकतर मामलों में “मुझे
वार्षिक परिक्षा में गणित में कम से कम 80 अंक
लाने हैं” एक
SMART लक्ष्य होगा. अगर
“मुझे वार्षिक परिक्षा में गणित में 100 अंक
लाने हैं” लक्ष्य
की बात करें तो ये ज्यादातर लोगों के लिए या तो हासिल करने योग्य नहीं होगा या वास्तविक नहीं होगा, पर
कुछ लोगों के लिए जो गणित में विशेषतया अच्छे हैं उनके लिए ये एक SMART लक्ष्य
हो सकता है, पर
ऐसी प्रजाति बहुत कम ही पायी जाती है।
SMART
लक्ष्य बना लेना मतलब आधी जंग जीतना है, और
ना बना पाना हारना, लक्ष्य
तय करने के बाद ये जरूरी हो जाता है की उसको पाने के लिए पूरी तरह से प्रयत्न किये जाए। स्वामी विवेकानंद के अनुसार "उठो,
जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य ना प्राप्त हो जाये", कहने
का मतलब है कि "लक्ष्य
तय करना" सफल
होने का एक जरूरी घटक है लेकिन सफल होने के लिए ये अपने आप में पूर्ण नहीं है, लक्ष्य
तय करने के बाद उसको पाने के लिए कठोर परिश्रम करके ही सफलता को प्राप्त किया जा सकता है।
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