ॐ शांति शांति शांति में शांति शब्द का उच्चारण तीन बार क्यों किया जाता है ?
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है जो हमेशा भीतर और बहार शांति की खोज में लगा रहता है । मनुष्य या तो अपने लिए ख़ुद विघ्न खड़ा करता है या फिर दूसरे लोग उसकी शांति में बाधा उत्पन्न करते है । जब तक कोई उपद्रव नही होता वहां शांति रहती है । वादविवाद शांत होने के बाद शांति उसी तरह कायम हो जाती है जैसे पहले थी । आज के वातावरण में झमेलों के चलते शांति की खोज बहुत कठिन है । कुछ लोग होते है जो कठिन से कठिन परिस्तिथि में भी शांत रहते है । हिंदू धर्म में शांति का आह्वान करने के लिए मंत्र, यज्ञ आदि के अंत में तीन बार शांति का उच्चारण किया जाता है । जिसे त्रिव्रम सत्य भी कहा जाता है । सम्पूर्ण दुखो के तीन उद्भव स्थान माने गए है, और तीन बार शांति का उच्चारण करके इन उद्भव स्थानों को संबोधित किया जाता है ।
पहली बार शांति का उद्घोष अधिदेव शांति के लिए किया जाता है । इसमे ईश्वरीय शक्ति जैसे प्राकृतिक आपदाये, भूकंप, ज्वालामुखी, बाढ़ आदि जिन पर मानव का कोई नियंत्रण है । उसे शांत रखने की प्रार्थना की जाती है ।
दूसरी बार शांति का उद्घोष आधिभौतिक शांति के लिए किया जाता है । इसमे दुर्घटना, प्रदुषण, अधर्म, अपराध आदि से शांत बने रहने की प्रार्थना की जाती है ।
आखरी बार शांति का उद्घोष आध्यात्मिक शांति के लिए किया जाता है । इसमे ईश्वर से प्रार्थना की जाती है कि हम अपने रोजमर्रा में जो भी सामान्य या अतरिक्त कार्य करे उसमें हमें किसी भी प्रकार की बाधाओ का सामना न करना पड़े ।
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