Tuesday, April 2, 2013


जीवन संघर्ष का एक चित्रण
“JEEVAN SANGHARSH KA EK CHITRAN”

People living in slums face problems of housing, access of drinking water and sewage facilities. A majority of them live with dirt floors and poor ventilations. I am in Mumbai city where the sight of slum life is everywhere, and I witnessed it too and tried to go through their sentiments.....Here it goes HINDI POEM....:-

बालकोनी में बैठा मै, बाहर का नज़ारा देख रहा था दुनियां की भागदौड़ को देख, मन ही मन सोच रहा था
तभी मेरी नज़र, इमारत के नीचे बनी झोपड़ी पर पड़ी,
जहाँ एक भोली सी दीदी, अपनी दिनचर्या के लिए सब जोड़ रही थी।
नगर-निगम के पानी के, लीकेज पाइप लाइन से, पानी धो रही थी।
उसी टूटी से झोपड़ी में, उसकी प्यारी सी "परी" सो रही थी,
 
मैंने उसकी आत्मा की पुकार को टटोला, उसके हृदय ने चीत्कार कर मानो कुछ बोला
मुझे सब कुछ साफ़ साफ़ सुनायी दे रहा था, इतनी बदहाली में भी, उसके जहन में तनिक भी शिकन ना था
तभी टूटे फूटे चाट के अन्दर, अपनी मुनिया का ध्यान आया,
यकायक कहने लगी, चलती पवन, तुम अपनी रफ़्तार ज़रा धीमी रखना,
सूरज की किरणें तुम अपना प्रकाश ज़रा खामोशी से जलाना, चाँद की चांदनी, तुम ज़रा दबे पांव कदम रखना।
 
देखो मेरी गुडिया की नींद ना खुल जाए, देखो मेरी ग्रीहस्ती का काम अधूरा ना रह जाए।
प्रकृति तू ही मेरा सहारा है
हम अभागे, अशिक्षित, गरीबों ने सदा ऐसे ही जीवन गुजारा है
मै खुश हूँ, और अपने परिवार का पेट, पाल रही हूँ गरीबी को रुकसत करने के, सरकार के वादे, रह-रह के जी रही हूँ, क्या होगा इस हालात में, बच्चों का भविष्य, मन में उधेड़ बुन कर रही हूँ
हे ईश्वर ! इस देश की कुर्सी पर बैठे लोगों को सद्बुद्धि प्रदान कर तू ज़रा,
मै तो जी चुकी जीवन, मेरे बच्चों को, तो अच्छा जीवन जीने मौक़ा दे तू ज़रा

 

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