Monday, March 18, 2013


शुभ कामना

शुभ कामना सुनने में यह कुछ अटपटा सा लगता है इस विषय पर क्या उपदेश देना? ऐसा तो सब एक दूसरे के लिए अभिवादन में शुभकामनाओं में कहते ही हैं लेकिन कभी सोचा है कि इस शुभकामना का क्या अर्थ है ? कभी इस पर विचार किया है कि जीवन को सुखमय बनाने के किसी बहुत बड़े आशीर्वाद या वैभव की जरूरत नहीं है बेहद छोटी छोटी बातें इसे सुखमय या दुःखमय बना देती हैं

एक प्रसिद्ध कहावत है 'अपना आज संभालो, कल अपने आप सुरक्षित हो जाएगा ' आज औद्द्योगिक व् आधुनिक जीवन में हमारा खान पान, आचार विचार सब कुछ अप्राकृतिक हो गया है यदि हम इन पर ध्यान नहीं दें तो हमारे जीवन की अवधि कम हो जाती है, स्वास्थ्य खराब हो जाता है सुखमय जीवन दुःखमय होने लगता है लेकिन कुछ बेहद साधारण तौर-तरीके अपनाकर हम अपने जीवन को सुखी, मंगलमय, दीर्घ व् तनावरहित बना सकते हैं

उदाहरण के लिए प्रातःकाल सूर्योदय से पहले उठने वाले को उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है इसीलिए बुद्धिमान व्यक्ति उसका उपयोग करते हैं शास्त्रों में लिखा है कि सूर्योदय से डेढ़ घंटा पूर्व शैया का त्याग कर देना उत्तम होता है प्रातःकाल जल्दी उठिए, घूमने जाईये, व्यायाम करिए, यदा-कदा  शरीर की मालिश कर लीजिये ऐसी सामान्य सी लगने वाली बातों का हमारी ख़ुशी और हमारे व्यक्तित्व पर गहरा असर पड़ता है

अपने दैनिक जीवन में हमेशा व्यस्त रहने का प्रयास करना चाहिए जब कभी अवकास हो, कुछ सामाजिक व् सार्वजनिक हित का काम करना चाहिए इससे बड़ी मानसिक राहत मिलती है लेकिन इन सब के बीच थोड़ा समय निकाल कर हमें रोजाना अपने बारे में भी विचार जरूर करना चाहिए अपनी समस्याओं के समाधान के बारे में, अपने व्यवहार के बारे में थोड़ा चिंतन करना चाहिए जो लोग आलसी नहीं हैं वे हर समय उत्साह से भरे रहते हैं। जो किसी किसी कार्य में संलग्न रहते हैं- वे प्रायः दीर्घ जीवन व्यतीत करते हैं वैसे तो मृत्यु और जीवन का समय निश्चित नहीं है, घटाना-बढ़ाना किसी के बस की बात भी नहीं है, लेकिन जीवन को सुन्दर बनाना, सफ़र को सुहावना और आनंदमय बनाना तो आपके बस में है कोई भी बिमारी अकस्मात नहीं आती, पहले उसकी जड़ बनती है तभी वह पनपती है मानसिक परेसानियाँ शरीर को जर्जर और खंडहर बनादेती हैं- चिढ़चिड़ा स्वभाव, बात बात में झुंझलाना, क्रोधित होना, मीन-मेख निकालना एक भयंकर रोग है इससे जितनी जल्दी हो सके छुटकारा पाना चाहिए, अन्यथा बीमारियाँ जल्दी शुरू हो सकती हैं कभी किसी बात का वहम नहीं करना चाहिए क्योंकि वहम बीमारियों की एक बड़ी वजह है

चिंताग्रस्त व् तनावग्रस्त नहीं रहना चाहिए, हमेशा प्रसन्नता से रहना चाहिए, दूसरों के दुःख दर्द में काम आने की कोशिश करनी चाहिए स्वार्थ त्याग कर रोगग्रस्त व् अभावग्रस्त लोगों की सहायता करनी चाहिए कभी विश्वाश्घाती व् बेइमान नहीं होना चाहिए कथनी-करनी एक हो, अपने स्वार्थ के कारण व् अपनी महत्वकांक्षा के वशीभूत होकर किसी का अहित नहीं करना चाहिए अपने पद या स्टेट्स के मद में कभी किसी का तिरस्कार नहीं करना चाहिए

जीवन संबंधों की खोज के विशेषज्ञ डाक्टर कार्लसन का कहना है कि, 'अल्प मृत्यु और बुढ़ापे  को रोकने के लिए सौ दवाओं की एक दवा है- सरल जीवन जिस कार्य से शरीर और मन पर अत्यधिक दबाव पड़े उसे छोड़ देना चाहिए अपनी शक्ति, सामर्थ्य, क्षमता तथा उम्र के अनुसार अपने दैनिक कार्यक्रम में आवश्यकतानुसार परिवर्तन करते रहना चाहिए ' अपनी व्यस्तता में से अन्कास का समय निकालिए आमोद-प्रमोद, मनोरंजन के लिए कुछ समय अवश्य होना चाहिए इस प्रकार माहौल बदलने के लिए  अपनी दिनचर्या में सभी बातों का समावेश  होना चाहिए इससे तनाव कम होता है तनाव दूर करने के लिए बागवानी, संगीत या वाचनालय अथवा व्यामशाला जाने जैसे शोक विकसित किये जा सकते हैं

जीवन एक गणित है, जिसमें मित्रों को जोड़ना है, दुश्मनों की संख्या को घटाना है, सुखों का गुणा और दुःखों का विभाजन करना है यह मंगल सूत्र जीवन को सफल, स्वस्थ व् मंगलमय करने के लिए पर्याप्त है जो व्यक्ति प्रकृति के साथ हाथ मिलाकर चलता है, उसे दुःख दर्द नहीं घेरते

No comments:

Post a Comment