आलस
आलस्यं हि मनुष्याणां
शरीरस्थो महान्रिपु ।
नास्त्युद्यमसमो
बन्धुः कृत्वा यं नावसीदति
॥
ālasyam hi
manuṣhyāṇām sharīrastho mahānripu ।
nāstyudyamasamo
bandhuḥ kṛitvā yam nāvasīdati ॥
आलस
व्यक्ति की सोचने-समझने की शक्ति
को कमजोर कर
देता है। ऐसे
में वह जीवित
होकर भी मृत
के समान ही
होता है। उसका
होना या न
होना बराबर होता
है, क्योंकि वह
किसी और की
मदद करना तो
दूर की बात
है, खुद ही
दूसरों के आसरे,
उनकी मदद पर
रहता है। यह
भी नहीं है
कि वह करना
कुछ नहीं चाहता।
नहीं, आलसी हमेशा
बहुत कुछ करने
की इच्छा रखता
है, सोचता है,
सपने देखता है,
बड़ी-बड़ी बातें
करता है, लेकिन
करता कुछ नहीं।
यदि
आप में भी
ऐसी ही कोई
प्रवृत्ति है, तो
इसका मतलब है
कि आप भी
आलसी हैं। आप
भी यह बात
जानते-समझते होंगे।
इसलिए यदि आप
वाकई कुछ करना
चाहते हैं, तो
जो करना चाहते
हैं, उसे करके
भी दिखाएँ। यदि
आलस रोड़े अटका
रहा है तो
उसे चुस्ती दिखा
दें। यकीन मानिए,
सुस्ती को चुस्ती
से बहुत डर
लगता है। वह
उसकी परछाई से
भी घबराती है।
इसलिए यदि आप
थोड़ी-सी भी
चुस्ती दिखाएँगे तो सुस्ती
आपके शरीर से
दूर चली जाएगी।
इसके बाद तो
आप जो करने
की सोचेंगे, उसे
कर दिखाएँगे, क्योंकि
आलसी होने की
वजह से रूठा
आपका ईश्वर आपकी
मदद जो करेगा।
Laziness is most dangerous thing as it
can make a person unsuccessful & brings failure in every task. Idle mind is
devils work shop. Our First Prime Minister, Jawaharlal Nehru rightly told
"Aaram haram hai" आराम हराम है.
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