Wednesday, January 2, 2013





मनीषी इन्द्रियों को अश्व बताते हैं

और विषयों को उन अश्वों के विचारने का मार्ग इन इन्द्रियरूपी घोड़ों को वशीभूत किये बिना ब्रह्मज्ञान संभव नहीं है स्थूल विषयों में लिप्त इन्द्रियां अंतरात्मा को देखने में असमर्थ होती हैं इसलिए यदि कोई मुमुक्ष ब्रह्मज्ञान की प्राप्ति करना चाहता है, तो उसे अपने इन्द्रियरूपी घोड़ों को विषय रूपी गोचर से विमुख कर अंतर्मुखी बनाना चाहिए
 
Upanishads explains that to achieve the ultimate reality i

1. The body should be considered as a Chariot
2. The sense as the horse
3. The intellect taken as a Charioteer
4. The mind as the reins and

The soul as the Lord seated in the vehicle

The senses are compared to good and bad horses, which are to be properly controlled, least they should become unruly.

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