Kabir Ki Pathshala !
Welcome
to................. Kabir ki Pathshala !!!………… Simple, Truthful and straight
forward! Wonderful couplets depicting almost all aspects of life!
Let
us begin with........ Kabir’s views on God’s whereabouts:
तेरा साँई तुझमें ज्यों पहुपन में बास, कस्तूरी का हिरन ज्यों, फिर-फिर ढूंढत घास
-God
is always within, outside search is useless !
कस्तूरी
कुंडली बसे, मृग
ढूंढे बन मांही
।
ऐसे घटि घटि
राम हैं, दुनियां
देखे नाही ।।
मृग की नाभी
में कस्तूरी रहती
है । वह
उसकी सुगंध से
अभिभूत हो कर
उसे प्राप्त करने
के लिए वन-वन में
ढूडता फिरता है,
वैसे आनंद स्वरूप
भगवान् प्रत्येक के अंतःकरण
में निवास करते
हैं । जीव
उस आनंद के
आभास से मुग्ध
हो कर उसे
पूर्ण रूप से
प्राप्त करने की
इच्छा से विभिन्न
साधनाओं में भटकता
है ।
Now look
at the beauty of his revelation of God:
मोको कहां ढूढे रे बन्दे, मैं तो तेरे पास में; ना तीर्थ में ना मूर्त में ना एकान्त निवास में ।
ना मंदिर में ना मस्जिद में, ना काबे कैलास में, ना मैं जप में ना मैं तप में, ना मैं बरत उपास में ।
ना मैं किर्या कर्म में रहता नहिं जोग सन्यास में, नहिं प्राण में नहिं पिंड में ना ब्रह्याण्ड आकाश में ।
ना मैं प्रकति प्रवार गुफा में, नहिं स्वांसों की स्वांस में; खोजि होए तुरत मिल जाउं, इक पल की तलाश में !
कहत कबीर सुनो भई साधो, मैं तो हूँ विश्वास में ।।
– God is, where faith is !
Kabir
saw this world as a time mill ! Look at this thoughtful verse:
चलती चक्की देख के दिया कबीरा रोय, दुइ पाटन के बीच में साबित बचा न कोय
संत
कबीर जी एक बार
बाजार से जा रहे
थे । मार्ग में
उनको एक व्यापारी
की पत्नी चक्की पिसती दिखाई
दी । चक्की को
देख के कबीर जी को रोना आ
गया । अनेक
लोगों ने उनसे रोने
का कारण पूछा, परंतु कबीर जी
कुछ नहीं बोले
। इतने में वहां
निपट निरंजन नामका
एक साधु आया
।
उन्होंने
कबीर जी को रोने का कारण पूछा
। उस साधु के अधिकार
को जानकर कबीर जी ने कहा, ‘‘इस
चक्की को घूमते देखकर मेरे
मन में चिंता उत्पन्न हुई,
‘‘इस चक्की में डाले हुए
गेहूं के दानों के पिस जाने से
जैसे आटा बनता
है, उसी प्रकार
इस भवसागर में फंसकर
मेरा भी यही
हाल होगा ।
इस विचार से मन
दु:खी हो
गया । तब
उस साधु ने कहा, ‘‘कबीर जी थोडा
विचार करें ।
चक्की
में डाले हुए गेहूं
के दानों के पिसने से आटा बनता
है, यह बात
सत्य हैं, परंतु
खूंटे के पास जो
दाने रहते हैं,
वे नहीं पिसते
। वैसे ही
परमेश्वर के नाम से ( साधनासे ) जो
दूर रहते हैं,
वह काल के तूफान
में फंस जाते हैं;
परंतु नाम जप करने
वालों को, ईश्वर के निकट
रहने वालों को काल का भय नहीं
होता ।’
–
So be always humble & do good because no one is going to live forever in
this world !
Kabir
envisaged time management as early as 15th century when life was not so fast as
it is now:
काल करे सो आज कर आज करे सो अब।
पल
में
प्रलय
होएगी
बहुरि
करेगा
कब
।।
-
Time is very precious, Never waste it!
People
have the tendency to hoard money unlimited which is the root cause of all ills.
Kabir could understand that and came out with this pragmatic couplet :
साईं इतना दीजिये, जा में कुटुम समाय।
मैं भी भूखा न रहूँ, साधु ना भूखा जाय ।।
-
So one should not run after money unnecessarily !
Humility
should be our Nature which Kabir taught so wonderfully through the following
couplet:
माटी कहे कुम्हार से, तू क्या रोंदे मोय । एक दिन ऐसा आएगा, मैं रोंदूंगी तोय ।।
-One
day you are going to mix in the earth. So never show arrogance because you are
going to be humbled by the most humble earth !
Kabir’s
formula for peace is reflected in the following lines :
जो तोकु कांटा बुवे ताही बोय तू फूल।
तोकू
फूल
के
फूल
है
बाकू
है
त्रिशूल
।।
-Do
good even to your enemy !
Surrender
to God is the best strategy and Kabir has reflected this so wonderfully as :
साँई ते सब होते है, बंदे से कुछ नाहि।
राई
से
पर्वत
करे,
पर्वत
राई
माहि
।।
-You
are not the doer. Doer is God who can do anything !
One
of the great tool of management is found here:
ऐसी वाणी बोलिए जो मन का आपा खोए। औरन को शीतल करे आपौ शीतल होय ।।
-
Always talk politely !
The
teachings are numerous, so difficult to contain here.
Therefore
this session is concluded with my most favorite quote-
जो कछु किया सो तुम किया, मैं कछु किया नाहीं।
कहा
कहूं
जो
मैं
किया,
तुम
ही
थे
मुझ
माहीं।।
-
What is done, is done by you lord. Even if I claim any, you only did it through
me!
Let
me say, these are the wonderful life management fundas. Who says spirituality
is not practical ? It is more and much more………………..Always in pursuit of Truth,
the simplicity of Kabir's life reflects in his work too.
In
the end a Tribute to Kabir through the following lines:
कौन उस-सा फ़कीर होता है,
जो भी दिल का अमीर होता है ।
उस को क्या ख़ौफ़ है ज़माने का,
साफ़ जिसका ज़मीर होता है।
सदियाँ ही बीत जाती हैं,
पैदा कब नित कबीर होता है।।
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