Saturday, October 6, 2012


मौत   जिन्द गी से कितनी बेहतर है ।

ज़िंदा थे तो किसी ने पास बिठाया नहीं,
अब खुद मेरे चारों और बैठे जा रहे हैं ।

पाहिले कभी किसी ने मेरा हाल न पूछा,
अब सभी आंसू बहाए जा रहे हैं । 

एक रूमाल भी भेंट नहीं किया जब हम ज़िंदा थे,
अब शालें और ओ- सजाये जा रहे हैं ।

सब को पता है की शालें और कपडे इसके काम के नहीं हैं,
मगर फिर भी बेचारे दुनियादारी निभाये जा रहे हैं ।

कभी किसी ने एक वक्त का खाना तक नहीं खिलाया,
अब देसी घी मेरे मुँह में डाले जा रहे हैं ।

जिंदगी में एक कदम भी साथ न चल सका कोई
अब फूलों से सजाकर कंधे पर उठाए जा रहे हैं ।

आज पता चला कि मौत जिन्दगी से कितनी बेहतर है ।


 

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